बिलासपुर के एक अख़बार में एक खबर छपी थी की बिलासपुर का रजिस्ट्री विभाग लक्ष्य से लगभग १२ करोड़ रुपए पीछे चल रहा है
जिला पंजीयन विभाग को पहले दौर 73 करोड़ 30 लाख रुपए का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन फरवरी में अचानक शासन ने टारगेट बढ़ाकर 76 करोड़ 60 लाख रुपए कर दिया. पंजीयन विभाग ने 1 अप्रेल से लेकर 16 मार्च तक 64 करोड़ 34 लाख 13 हजार 725 रुपए की प्राप्ति हुई है इस तरह विभाग ने अभी तक टारगेट का 84 प्रतिशत ही वसूल कर सका है. अभी भी विभाग लक्ष्य से लगभग 12 करोड़ रुपए पीछे चल रहा है, जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में केवल १४ दिन रह गए हैं.
और इस लक्ष्य की प्राप्ति ना होने की वजह मोपका और लिंगियाडीह को बताया जा रहा है
अख़बार की एक अन्य खबर में लिंगियाडीह की बेशकीमती 47 एकड़ जमीन पर कब्जा करने के मामले में तहसीलदार ने १८ पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है इसमें एसईसीएल, अपोलो, राधिका विहार के कॉलोनाइजर सहित रामनगर और श्यामनगर के रहवासी शामिल हैं
बहुत से लोग यहाँ पर टुकडो टुकडो में प्लाट खरीद लिए है और बहुतो ने मकान भी बना लिए है .कालोनिय भी बन गई है .अब सवाल यह है की इस में गलती किसकी है , बेचने वाले की या खरीदने वाले की
अपनी मेहनत की पैसो से आपना आशियाना बनाने वाले की क्या गलती वो दलालों प्रोपर्टी के विक्रेताओ और अखबारों में छपे विज्ञापनों के झासो में आकर प्लाट खरीद लेता है और बहुत सालो बाद उसे पता चलता है की यह जमीने तो सरकारी है और अवैध है
क्या प्रशाशन की कोई गलती नहीं है क्यों रजिस्ट्रीय की गई क्यों अनुमति दी गई क्यों नहीं पहले से सम्बंधित स्थानों में बोर्ड या कोई सुचना पटल लगाया गया . आज भी ऐसे बहुत से स्थान है जहा पर ऐसा ही चल रहा है
लेकिन इन जगहों की रजिस्ट्रीय हो रही है .
और आम और खास दोनों का नुकसान हो रहा है
सभार
भास्कर
व नईदुनिया